हिंदी पत्रकारिता दिवस पर विशेष: प्रमोद कुमार सिन्हा 
हिंदी पत्रकारिता का नाम आए और उदन्त मार्तण्ड को लोग भूल जाये ये संभव नहीं है l उदन्त मार्तण्ड का प्रकाशन पत्रकारिता की विकास माला का महत्वपूर्ण विन्दु है l 4 दिसंबर 1827 को इस समाचार का प्रकाशन बंद हो गया था किन्तु जो दीपशिखा उदन्त मार्तण्ड ने प्रज्वलित की वह प्रतिक्षण प्रदीप्त होती रही तथा उसके प्रकाश से हमने स्वाधीन भारत का स्वप्न साकार किया l उदन्त का अर्थ समाचार और मार्तण्ड का अर्थ सूर्य l सूर्य की किरणों की भांति उदन्त मार्तण्ड ने अपने विचारों को आमजनता मे फैलाया तथा क्रांति की पृष्ठभूमि तैयार करने मे सहयोग दिया। उदन्त मार्तण्ड के प्रकाशक एवं संपादक पंडित युगल किशोर शुक्ला थे जिनका जन्म कानपुर मे हुआ था हिंदी का प्रथम समाचार पत्र उदन्त मार्तण्ड का पहला अंक 30 मई 1826 को कलकत्ता से साप्ताहिक प्रकाशन के रूप प्रकाशित हुआ l शुक्ल जी पहले कलकत्ता में प्रोसीडिंग रीडर थे फिर उसी अदालत में वकालत करने लगे l सन 1850 में इन्होने साम्यदण्ड मार्तण्ड का भी प्रकाशन किया। 20 अंगुल लम्बा व 13 अंगुल चौड़ा यह पत्र निश्चय ही सभी दृष्टियो से सुसम्पादित व्यवस्थित पत्र था जिसने कम समय में हिंदी पत्रकारिता के भावी विकास के लिए उर्वरा भूमि पैदा की थी l इसकी भाषा की चर्चा करते हुए पंडित अम्बिका प्रसाद वाजपेयी लिख़ते है कि जहाँ तक उदन्त मार्तण्ड की भाषा का प्रश्न है यह उस समय लिखी जाने वाली किसी भाषा से हीन नहीं है उसके संपादक बहुभाष्य थे यह उनका बड़ा भारी गुण था तथापि प्रूफ की भूले जो प्रेसो में बराबर होती रहती है उनका ध्यान रखकर हमें निःसंकोच पड़ता है कि उदन्त मार्तण्ड हिंदी का पहला समाचार पत्र होने पर भी भाषा एवं विचारों की दृष्टि से सुसम्पादित पत्र था पत्र के अंतिम अंक में संपादक श्री शुक्ल के ये भावोदगार उनके मन की व्यथा और पीड़ा को वाणी देते है – “आज दिवस को उग चुक्यो मार्तण्ड उदन्त, अस्ताचल को जात है दिनकर दिन अब अंत
प्रमोद कुमार सिन्हा
(चीफ ब्यूरो )
पब्लिक न्यूज़ सेंटर
सदस्य गाज़ीपुर पत्रकार एसोसिएशन
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