अतरौलिया ग्रामीण पुनर्निर्माण संस्थान एवं कॉमन हेल्थ के संयुक्त तत्वावधान में संस्थान द्वारा बीएचएस कॉलेज ऑफ नर्सिंग सभागार गोविंदपुर में एनएम और जीएनएम कोर्स करने वाली छात्राओं के साथ अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षित गर्भसमापन दिवस पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया
रिपोर्टर राजू कुमार
जिसकी मुख्य अतिथि डॉ. वर्तिका सिंह रही। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संस्थान के राजदेव चतुर्वेदी ने बताया गया कि हमारी संस्था 1992 से आजमगढ़, अंबेडकर नगर तथा वाराणसी सहित तीन जिलों में महिलाओं के मुद्दों को समझने के लिए उनके साथ कार्य करती है। इसके अलावा विभिन्न गांवों में काम करते हुए जो दिक्कतें हमे महसूस होती हैं, लोगों की जो परेशानी महसूस होती है उसको हम लोग बड़े फोरम जैसे – अंतर्राष्ट्रीय फोरम, राष्ट्रीय फोरम तथा राज्य स्तरीय फोरम में इस तरह के मुद्दों को उठाते हैं । उपस्थित छात्रा/छात्राओं को जेंडर और सेक्स पर चर्चा करते हुए बताया गया कि प्रकृति द्वारा जो हमे लैंगिक पहचान दी गई है, वह सेक्स है और यह अपरिवर्तनशील है। जो समाज द्वारा तय किया जाता है वह जेंडर होता है, जैसे – हमे क्या पहनना चाहिए, कैसे बाल रखना चाहिए आदि । हमारे देश में महिला और पुरुष का जो लिंग अनुपात है, वो काफी गिर गया है। आज कुछ तकनीक के द्वारा पेट में पल रहे भ्रूण का पता कर लिया जाता है कि गर्भ में लड़का है या लड़की। महिलाओं व पुरूषों द्वारा परिवार नियोजन के दो तरह के साधन प्रयोग किए जाते है एक स्थायी और दूसरा अस्थाई। जब कोई महिला बच्चा नहीं चाहती या बलात्कार की स्थिति में महिला का गर्भ रुक जाता है तो इस अनचाहे गर्भ की स्थिति में महिला को बहुत सारी समस्याओं को अपनी जिंदगी में झेलनी पड़ती है। 1971 में एमटीपी एक्ट आया एमटीपी एक्ट कहता है कि महिला 12 सप्ताह के अंदर अपना गर्भसमापन करवा सकती है । दूसरा महिला को अपने शरीर पर कोई छति पहुंचे या कोई बड़ी बीमारी है जिसमे उस महिला के जान को खतरा है, तीसरा जब महिला के शरीर में पेट में पल रहा भ्रूण मानसिक रूप से विकास नहीं कर रहा या विकलांग है तो वह इस स्थिति में अपना गर्भसमापन करवा सकती है। आजमगढ़ जिले में प्रति वर्ष मातृ मृत्यु दर 169 महिला है । उसमें से कुछ महिलाएं असुरक्षित गर्भसमापन की वजह से ही मर जाती हैं या गर्भपात होने की वजह से कोई समस्या हो गई तो उस स्थिति में उनकी मृत्यु हो जाती है। ये जो मौतें होती है उसकी वजह से पूरी दुनिया में 28 सितंबर को सुरक्षित गर्भसमापन दिवस के रूप में मनाया जाता है। अतरौलिया ब्लॉक में सरकार द्वारा केवल एक ही जगह है जहां पर सुरक्षित गर्भ समापन सेवाएं मिलती है वह सिर्फ 100 शैय्या अस्पताल में है, जिसके डॉ. अमित जी हैं। लेकिन ज्यादातर लोग प्राइवेट में ही जाते हैं। इसके बाद उपस्थित छात्राओं को लड़के के 21 और लड़की की शादी की उम्र 18 वर्ष हो जाने के बाद की जानी चाहिए ।