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आत्म अनुसंधान आश्रम परिसर के जया विजया सभागार मे परमपूज्य बाबा विशाल भारत जी के अवतरण दिवस पर एक गोष्ठी आयोजित


लालगंज आजमगढ

स्थानीय विकास खंड के मई गांव स्थित आत्म अनुसंधान आश्रम परिसर के जया विजया सभागार मे परमपूज्य बाबा विशाल भारत जी के अवतरण दिवस पर एक गोष्ठी आयोजित की गयी । अवतरण दिवस पर आयोजित गोष्ठी मे शिष्यों व श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए परमपूज्य बाबा विशाल भारत जी ने अपने आर्शीवचन मे कहा कि भाद्र पद पूर्णिमा दिन शुक्रवार को मै अपने जीवन के 57 वर्ष मे प्रवेश किया हूं । यहां प्रत्यक्ष व परोक्षआत्माओ सहित अपने जन्म दायिनी माता – पिता को प्रणाम निवेदित करता हूं । 35 वर्ष से मैं सफेद वस्त्र धारण किया हूं । जिसमें से मेरा 28 वर्ष आजमगढ़ जनपद में बीता है । यह वही स्थान है जहां अपने जीवन का कीमती समय बिताया , भविष्य की परिकल्पना के लिए बना है एक गर्भ गृह में महालक्ष्मी , महासरस्वती व महाकाली का मंदिर कही नहीं मिलेगा । मैं पहली बार फरवरी 1994 में आजमगढ़ के दत्तात्रेय चंद्रमा व दुर्वासा स्थान देखने आया था । जिसके कुछ दिनों बाद जून 1994 से आजमगढ़ में कदम रखा 28 वर्ष आत्म अनुसंधान आश्रम मई में धीरे-धीरे बीत गया । किसी के पास गुरु के प्रति समर्पण है ही नहीं , गुरु के पास लोगो का अपने लक्ष्य के प्रति समर्पण है । अपने लक्ष्य के लिए गुरु के पास जाते हैं लक्ष्य पूरा होता रहेगा आते रहेंगे या लक्ष्य पूरा होने का भ्रम रहेगा आते रहेंगे जिस दिन लक्ष्य पूरा होने का भ्रम टूट जाएगा , आना बन्द हो जायेगा । तो ऐसा व्यक्ति कैसे शिष्य बनेगा । कैसी वह किसी को गुरु बना सकता है । अतीत में जो लोगों ने गलती की है मैं नहीं करूंगा । तैलंग स्वामी जैसे लोग दहाई में शिष्य नहीं बनाए , इकाई में बनाए छः या सात शिष्य बनाए । जितने उस तरह के लोग रहे है शिष्य बनाएंगे नही , बनाएंगे भी तो थोड़ा सा शिष्य । गुरु के प्रति समर्पण बहुत जरूरी है । सभी लोग गुरु जी को अपने हिसाब से ढालना चाहते है , गुरु मूख बनना चाहते है । सद्बुद्धि आप चाहोगे तो मिल जाएगी । स्वयं सद्बुद्धि जब आप सोने जाते हो शारीरिक , मानसिक , आचरण कार्य पर विचार करे । अपने से अपना तय करें क्या करना चाहते हैं क्या नहीं चारपाई पर विचार करे । बोलने व व्यवहार करने का संकल्प करे , सद्बुद्धि आ जाएगी , सद्बुद्धि का सबसे सरल रास्ता है । दीक्षा का सम्बध मुक्ति से होता है किसी गुरु के एक मंत्र से मुक्ति नहीं मिल सकता है । मोक्ष शरीर का नहीं आत्मा का होता है । शरीर जलने किसी और पंथ के जमीन में गाड़ने व नदी में प्रवाहित करने से शरीर मोक्ष को प्राप्त हो जाता है। मोक्ष आत्मा का परमात्मा में विलीन होना । आत्मा का सदैव – सदैव के लिए अस्तित्व समाप्त हो जाए । परमात्मा के चाहने पर मोक्ष की प्राप्ति होगी ।

आर्शीवचन कार्यक्रम देर रात्रि तक चला । जिसके बाद सभी श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया ।

कार्यक्रम को नरेंद्र सिंह पूर्वाचल विकास बोर्ड उपाध्यक्ष , अनिल भूषण विनोद राय , रमाकांत सिंह, कैलाश नाथ तिवारी, एल बी सिंह , तहसीलदार सिंह , पूनम तिवारी सहित अन्य लोगों ने संबोधित किया। इस अवसर पर तरुण कुमार सिंह उर्फ गुड्डू , शमशेर सिंह , सन्तोष कुमार पाठक , दिवाकर राय , दिनेश तिवारी , सर्वेश , बलबन्त सिंह , ध्रुव सिंह , ऋषि कांत राय , विजयधर राय , श्याम सुन्दर राय सहित अन्य लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन प्रधानाचार्य रामनयन सिंह ने किया।

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